बिहार के गोपालगंज से निकले पंकज त्रिपाठी की जीवनी | Pankaj Tripathi

पंकज त्रिपाठी आज हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन और भरोसेमंद अभिनेताओं में गिने जाते हैं। उनकी सादगी भरी एक्टिंग और प्रभावशाली किरदारों ने उन्हें लाखों दिलों की धड़कन बना दिया है। लेकिन इस सफलता के पीछे छुपी है एक छोटे से गांव से निकले लड़के की लंबी और संघर्षभरी कहानी। आइए जानते हैं गोपालगंज, बिहार के पंकज त्रिपाठी की प्रेरणादायक जीवनी।

प्रारंभिक जीवन – एक किसान परिवार से

पंकज त्रिपाठी का जन्म 5 सितंबर 1976 को बेलसंड गांव, जिला गोपालगंज, बिहार में हुआ था। वे एक साधारण ब्राह्मण परिवार से हैं। उनके पिता पंडित बनारस तिवारी एक किसान और पुजारी थे, और माता एक घरेलू महिला थीं।

गांव के माहौल में पले-बढ़े पंकज को लोक-नाटकों और धार्मिक मंचनों में अभिनय करने का बचपन से ही शौक था। वे छठ और होली जैसे त्योहारों पर गांव की रामलीला में भाग लेते थे। हालांकि वे खेतों में अपने पिता की मदद करते थे, लेकिन उनका मन हमेशा अभिनय में ही रमा रहता था।

शिक्षा और शुरुआती संघर्ष

स्कूलिंग गोपालगंज में पूरी करने के बाद पंकज ने पटना कॉलेज में हिंदी विषय से स्नातक किया। पढ़ाई के साथ-साथ वे छात्र राजनीति और नाटकों में भी सक्रिय रहे।

पटना में रहते हुए उन्होंने पहली बार नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) के छात्रों को लाइव परफॉर्म करते देखा और उसी दिन तय कर लिया कि वे पेशेवर अभिनेता बनना चाहते हैं। लंबे संघर्ष के बाद उन्हें एनएसडी, दिल्ली में दाखिला मिला और वर्ष 2004 में उन्होंने ग्रेजुएशन पूरा किया।

मुंबई में संघर्ष के दिन

एनएसडी से निकलने के बाद पंकज त्रिपाठी मुंबई आ गए। यहां उन्होंने लंबे समय तक छोटे-छोटे किरदार किए। उन्हें शुरुआत में पहचान नहीं मिली। फिल्मों में छोटे रोल और टीवी सीरियल्स में काम करते हुए उन्होंने जीवन का कठिन दौर देखा।

उनकी पहली फिल्म ‘रन’ (2004) थी, लेकिन लोगों ने उन्हें नोटिस नहीं किया। इसके बाद उन्होंने अपहरण, ओमकारा, और कुछ टीवी शो में काम किया, लेकिन बड़े मौके नहीं मिल रहे थे।

‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ से मिली पहचान

2012 में अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर से पंकज त्रिपाठी को असली पहचान मिली। उन्होंने इसमें सुल्तान कुरैशी का किरदार निभाया जो लोगों को बेहद पसंद आया। इसके बाद उनका करियर रफ्तार पकड़ने लगा।

बॉलीवुड में बहुमुखी अभिनय

पंकज त्रिपाठी ने हर तरह के किरदारों में खुद को साबित किया है – चाहे वह गैंगस्टर हो, एक सादा पिता हो या पुलिस अफसर। उनके कुछ बेहतरीन और यादगार किरदार हैं:

  • मिर्जापुर (कालीन भैया – Amazon Prime Video)
  • सेक्रेड गेम्स (गुरुजी – Netflix)
  • न्यूटन (CRPF अफसर – राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार)
  • स्त्री, मिमी, लूडो, गुंजन सक्सेना, और कई अन्य हिट फिल्में

उनकी एक्टिंग में एक खास सहजता और सच्चाई होती है जो दर्शकों से सीधा जुड़ाव बनाती है।

सम्मान और पुरस्कार

पंकज त्रिपाठी को उनके अभिनय के लिए कई बड़े पुरस्कार मिल चुके हैं:

  • राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – विशेष उल्लेख (2018) – फिल्म न्यूटन के लिए
  • फिल्मफेयर OTT अवॉर्ड – मिर्जापुर के लिए
  • IIFA, Zee Cine Awards, और कई अन्य सम्मान

2022 में उन्हें बिहार का स्टेट आइकन भी घोषित किया गया, जो उनके राज्य के लिए गर्व की बात है।

बिहार से जुड़े आज भी दिल से

सफलता की ऊंचाई पर पहुंचने के बावजूद पंकज त्रिपाठी आज भी बिहार से जुड़े हुए हैं। वे अक्सर अपने गांव, वहां की संस्कृति और मूल्यों के बारे में बात करते हैं। उनका मानना है कि आज जो कुछ भी हैं, उसमें उनके गांव का बड़ा योगदान है।


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निष्कर्ष – Pankaj Tripathi Biography

पंकज त्रिपाठी की जीवनी सिर्फ एक अभिनेता की कहानी नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है। गोपालगंज जैसे छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने दिखा दिया कि अगर जुनून और मेहनत हो, तो कोई भी सपना बड़ा नहीं होता

आज पंकज त्रिपाठी सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश का गौरव हैं एक ऐसे अभिनेता जो सादगी में भी स्टारडम ढूंढ लेते हैं।

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