
गोपलगंज बिहार राज्य का एक प्रसिद्ध जिला है जो उत्तर-पश्चिमी हिस्से में स्थित है। आज यह जिला राजनीतिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक दृष्टि से काफी चर्चित है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गोपलगंज का पुराना नाम क्या था? क्या इसका कोई ऐतिहासिक नाम था या यह हमेशा से “गोपलगंज” ही कहलाता रहा है? आइए, इस सवाल का जवाब इतिहास की गहराई में जाकर जानते हैं।
गोपलगंज नाम कैसे पड़ा?
“गोपलगंज” नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – “गोपाल” और “गंज”।
- “गोपाल” का अर्थ है भगवान श्रीकृष्ण का एक नाम, जो गायों की देखभाल करने वाले यानी गौपालक कहलाते हैं।
- “गंज” का मतलब होता है बाज़ार या व्यापारिक स्थान।
ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में यह स्थान श्रीकृष्ण भक्तों या किसी गोपाल नामक प्रभावशाली व्यक्ति के नाम पर विकसित हुआ। धीरे-धीरे यह व्यापारिक केंद्र बन गया और इसका नाम गोपलगंज हो गया।
क्या था गोपलगंज का पुराना नाम?
इतिहासकारों के अनुसार, गोपलगंज एक स्वतंत्र जिला नहीं था। यह पहले सारण (Saran) जिले का हिस्सा था। वर्ष 1973 में इसे अलग ज़िला घोषित किया गया।
गोपलगंज में पहले कई छोटे-छोटे गांव और रियासतें थीं जैसे:
- हथुआ राज (Hathua Raj)
- थावे (Thawe)
- मीरगंज (Mirganj)
इन इलाकों की अपनी एक अलग पहचान और इतिहास था। इसलिए गोपलगंज को पहले किसी एक नाम से नहीं जाना जाता था। कई लोग मानते हैं कि इसका ऐतिहासिक नाम कुछ नहीं था, बल्कि यह नाम ब्रिटिश काल के दौरान इसे ज़िला बनाने के बाद पड़ा।
हथुआ राज का इतिहास और गोपलगंज से संबंध
गोपलगंज का सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संबंध हथुआ रियासत से है।
हथुआ राज एक राजपूत शासकों की रियासत थी, जिसका साम्राज्य आज के गोपलगंज, सिवान और सारण जिलों तक फैला था। गोपलगंज के अधिकांश गांव और क्षेत्र हथुआ राज के अधीन थे।
हथुआ के राजा आर्थिक और प्रशासनिक रूप से काफी शक्तिशाली थे। इसलिए इतिहासकारों का मानना है कि गोपलगंज की पुरानी पहचान हथुआ क्षेत्र के हिस्से के रूप में थी।
गोपलगंज के कुछ ऐतिहासिक स्थल
- थावे दुर्गा मंदिर (Thawe Mandir): यह मंदिर आज भी हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। कहा जाता है कि यह मंदिर बहुत प्राचीन है और इसकी मान्यता दूर-दूर तक है।
- हथुआ पैलेस (Hathua Palace): यह भवन राजपूत राजाओं की समृद्धि और वैभव की कहानी कहता है। अब भी यह ऐतिहासिक महत्व रखता है।
- मीरगंज: पहले यह व्यापार का केंद्र हुआ करता था। आज भी यहां का बाजार और रेलवे स्टेशन काफी चर्चित हैं।
ब्रिटिश काल में गोपलगंज
जब अंग्रेजों ने भारत पर शासन किया, तब गोपलगंज को रेलवे नेटवर्क और व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना गया। मीरगंज और गोपलगंज के बीच व्यापार और यातायात तेज़ी से बढ़ा, जिससे यह इलाका आर्थिक रूप से आगे बढ़ा।
ब्रिटिश शासन के दौरान गोपलगंज में प्रशासनिक बदलाव हुए और धीरे-धीरे इसे एक अलग ज़िले का दर्जा मिला।
गोपलगंज आज के समय में
आज गोपलगंज बिहार के प्रगतिशील जिलों में गिना जाता है। यहां की जनसंख्या लगभग 25 लाख के करीब है और यह शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीति और व्यवसाय के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।
यहां से कई प्रसिद्ध नेता भी हुए हैं, जैसे कि लालू प्रसाद यादव, जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय नेता हैं।
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निष्कर्ष: गोपलगंज का पुराना नाम क्या था?
संक्षेप में कहें तो गोपलगंज का कोई विशेष “पुराना नाम” नहीं था, बल्कि यह पहले सारण जिले का हिस्सा था। हथुआ, थावे और मीरगंज जैसे क्षेत्र इसकी ऐतिहासिक पहचान रहे हैं। गोपलगंज एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से समृद्ध क्षेत्र है, जिसका वर्तमान नाम “गोपाल” और “गंज” से मिलकर बना है।
अगर आप बिहार के इतिहास में रुचि रखते हैं, तो गोपलगंज की यात्रा आपको इसकी समृद्ध विरासत से परिचित कराएगी।